जो होता है वो दिखता नहीं
जो होता है वो दिखता नहीं, जो दिखता है वो होता नहीं ।
दिखने की दुनिया जन्नत है, होने की दुनिया बस नज़ारा है॥
एक सिंहासन दिखता है, जैसे कई हुए वैसे ही लेकिन उनमें से कितने बचे? माना कि सिंहासन नष्ट होकर राख बन गया। लेकिन राख अब भी है। तो यह जो सिंहासन अब राख के रूप मैं है यह उसका होना है। इस राख को हवा में उड़ा दो तो सिंहासन अब हवा के रूप में है। तो यह सिंहासन का हवा के रूप में होना यह होने की दुनिया है। यहाँ कुछ भी नष्ट नहीं होता किसी और रूप में मौजूद रहता है लेकिन नज़ारे के बाहर नहीं जाता चाहे ओझल रूप मेंही क्यों ना मौजूद रहे।
इसलिए जो दिखने की दुनिया है वो जन्नत है या जहन्नुम है जैसा व्यक्ति चाहे बना ले, लेकिन होने की दुनिया सिर्फ़ एक नज़ारा है।
और जो जीते जी इस दिखने की दुनिया से होने की दुनिया में चला जाता है वह अमर हो जाता है। वही असली घर है हर मनुष्य का लेकिन जन्नत की पकड़ इतनी मज़बूत है कि उसमें रहते उससे बाहर होना किसी महान ठग के ही बस का है।
कबीर ने कहा है।
माया तो ठगनी बनी, ठगत फिरत सब देश।जा ठग ने ठगनी ठगो, ता ठग को आदेश॥
जो जीते जी दुनिया को बस एक नज़ारे की तरह देखने लगा और उसमें नाटक के पात्र की तरह जीने लगा उसकी अब मृत्यु सम्भव नहीं वह अमर हो गया। मीरा का, कबीर का, ओशो का होना युग युग तक क़ायम रहेगा और वे यह नज़ारा शरीर छोड़कर भी देख रहे हैं। ज़रूरत पड़ने पर आध्यात्मिक मार्ग पर चलने वालों की मदद भी करते रहते हैं।
इस दिखने से होने की दुनिया में जाने के लिए यह सबसे ज़रूरी है कि व्यक्ति जो है और जैसा है उसे जाने फिर स्वीकार करे। दिखने की दुनिया जन्नत है तो जहन्नुम. भी है। और जहां दो हैं वहाँ खिंचाव है, तनाव है, दुःख है, सुख है, मन है, अहंकार है, कॉम्पटिशन है।
और. होने. की दुनिया में आपके सामने बस नज़ारा है और आप उससे तटस्थ हैं। ना मन है, ना शरीर है. है बस नज़ारा है खुद. भी और सबका भी । बस आनंद है । असीम आनंद ।
यह अवस्था हम सबको बचपन में हासिल थी, लेकिन समाज, परिवार, धर्म, देश इत्यादि के बीच बड़े होते समय हमारे ऊपर मुखोटे चढ़ा दिए गए। सबको जानें, और स्वीकार करें तो यात्रा आरम्भ. सकती है।
इस यात्रा में यह महत्वपूर्ण है कि हम जानें कि हम कहाँ खड़े हैं। जैसे किसी कोचिंग क्लास में कम्पेटिटिव इग्ज़ाम की तैयारी के लिए जाते हैं तो वहाँ एक टेस्ट के बाद फ़ीस का निर्णय होता है क्योंकि उससे पता चलता है कि आपकी खुद की तैय्यारी कितनी है और उसके कारण आप उस परीक्षा की मेरिट लिस्ट में कहाँ स्थित हैं।
अपनेआप को जो हैं और शरीर से, मन से और आत्मा से जैसे हैं उसको स्वीकार करने से कम से कम यात्रा प्रारम्भ की जा सकती है।