प्रेम ज्ञान है। एकमात्र ज्ञान प्रेम ही है। बाकी सब जानना ऊपर-ऊपर है। क्योंकि ऐसा और कोई भी जानना नहीं है जिसमें जानने वाले को मिटना पड़ता हो। वह प्रेम की पहली शर्त है: मिट जाना, खो जाना। जन्म होता है, मृत्यु होती है। सभी का जन्म होता है, सभी की मृत्यु होती है। जन्म और मृत्यु के बीच जो व्यक्ति प्रेम से परिचित हो जाता है, वह अमृत को उपलब्ध हो जाता है। इसक अलह औजूद है, इसक अलह का रंग।। परमात्मा की जाति प्रेम; परमात्मा की देह प्रेम; परमात्मा की आत्मा, अस्तित्व प्रेम; परमात्मा…